क्षत्रिय राजपूत इतिहास (History of Kshatriya Rajpoot)
राजपूतों की वंशावली
"दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण,
चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला
चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा १७.रूसिया १८.चांदा१९.निकूम २०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा २४.बनकर.
क्षत्रिय जातियो की सूची
| क्रमांक | नाम | गोत्र | वंश | स्थान और जिला |
|---|---|---|---|---|
| १. | सूर्यवंशी | भारद्वाज | सूर्य | बुलन्दशहर आगरा मेरठ अलीगढ |
| २. | गहलोत | बैजवापेण | सूर्य | मथुरा कानपुर और पूर्वी जिले |
| ३. | सिसोदिया | बैजवापेड | सूर्य | महाराणा उदयपुर स्टेट |
| ४. | कछवाहा | मानव | सूर्य | महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य |
| ५. | राठोड | कश्यप | सूर्य | जोधपुर बीकानेर और पूर्व और मालवा |
| ६. | सोमवंशी | अत्रय | चन्द | प्रतापगढ और जिला हरदोई |
| ७. | यदुवंशी | अत्रय | चन्द | राजकरौली राजपूताने में |
| ८. | भाटी | अत्रय | जादौन | महारजा जैसलमेर राजपूताना |
| ९. | जाडेचा | अत्रय | यदुवंशी | महाराजा कच्छ भुज |
| १०. | जादवा | अत्रय | जादौन | शाखा अवा. कोटला ऊमरगढ आगरा |
| ११. | तोमर | व्याघ्र | चन्द | पाटन के राव तंवरघार जिला ग्वालियर |
| १२. | कटियार | व्याघ्र | तोंवर | धरमपुर का राज और हरदोई |
| १३. | पालीवार | व्याघ्र | तोंवर | गोरखपुर |
| १४. | परिहार | कौशल्य | अग्नि | इतिहास में जानना चाहिये |
| १५. | तखी | कौशल्य | परिहार | पंजाब कांगडा जालंधर जम्मू में |
| १६. | पंवार | वशिष्ठ | अग्नि | मालवा मेवाड धौलपुर पूर्व मे बलिया |
| १७. | सोलंकी | भारद्वाज | अग्नि | राजपूताना मालवा सोरों जिला एटा |
| १८. | चौहान | वत्स | अग्नि | राजपूताना पूर्व और सर्वत्र |
| १९. | हाडा | वत्स | चौहान | कोटा बूंदी और हाडौती देश |
| २०. | खींची | वत्स | चौहान | खींचीवाडा मालवा ग्वालियर |
| २१. | भदौरिया | वत्स | चौहान | नौगंवां पारना आगरा इटावा गालियर |
| २२. | देवडा | वत्स | चौहान | राजपूताना सिरोही राज |
| २३. | शम्भरी | वत्स | चौहान | नीमराणा रानी का रायपुर पंजाब |
| २४. | बच्छगोत्री | वत्स | चौहान | प्रतापगढ सुल्तानपुर |
| २५. | राजकुमार | वत्स | चौहान | दियरा कुडवार फ़तेहपुर जिला |
| २६. | पवैया | वत्स | चौहान | ग्वालियर |
| २७. | गौर,गौड | भारद्वाज | सूर्य | शिवगढ रायबरेली कानपुर लखनऊ |
| २८. | वैस | भारद्वाज | चन्द्र | उन्नाव रायबरेली मैनपुरी पूर्व में |
| २९. | गेहरवार | कश्यप | सूर्य | माडा हरदोई उन्नाव बांदा पूर्व |
| ३०. | सेंगर | गौतम | ब्रह्मक्षत्रिय | जगम्बनपुर भरेह इटावा जालौन |
| ३१. | कनपुरिया | भारद्वाज | ब्रह्मक्षत्रिय | पूर्व में राजाअवध के जिलों में हैं |
| ३२. | बिसैन | वत्स | ब्रह्मक्षत्रिय | गोरखपुर गोंडा प्रतापगढ में हैं |
| ३३. | निकुम्भ | वशिष्ठ | सूर्य | गोरखपुर आजमगढ हरदोई जौनपुर |
| ३४. | सिरसेत | भारद्वाज | सूर्य | गाजीपुर बस्ती गोरखपुर |
| ३५. | कटहरिया | वशिष्ठ्याभारद्वाज, | सूर्य | बरेली बंदायूं मुरादाबाद शहाजहांपुर |
| ३६. | वाच्छिल | अत्रयवच्छिल | चन्द्र | मथुरा बुलन्दशहर शाहजहांपुर |
| ३७. | बढगूजर | वशिष्ठ | सूर्य | अनूपशहर एटा अलीगढ मैनपुरी मुरादाबाद हिसार गुडगांव जयपुर |
| ३८. | झाला | मरीच कश्यप | चन्द्र | धागधरा मेवाड झालावाड कोटा |
| ३९. | गौतम | गौतम | ब्रह्मक्षत्रिय | राजा अर्गल फ़तेहपुर |
| ४०. | रैकवार | भारद्वाज | सूर्य | बहरायच सीतापुर बाराबंकी |
| ४१. | करचुल हैहय | कृष्णात्रेय | चन्द्र | बलिया फ़ैजाबाद अवध |
| ४२. | चन्देल | चान्द्रायन | चन्द्रवंशी | गिद्धौर कानपुर फ़र्रुखाबाद बुन्देलखंड पंजाब गुजरात |
| ४३. | जनवार | कौशल्य | सोलंकी शाखा | बलरामपुर अवध के जिलों में |
| ४४. | बहरेलिया | भारद्वाज | वैस की गोद सिसोदिया | रायबरेली बाराबंकी |
| ४५. | दीत्तत | कश्यप | सूर्यवंश की शाखा | उन्नाव बस्ती प्रतापगढ जौनपुर रायबरेली बांदा |
| ४६. | सिलार | शौनिक | चन्द्र | सूरत राजपूतानी |
| ४७. | सिकरवार | भारद्वाज | बढगूजर | ग्वालियर आगरा और उत्तरप्रदेश में |
| ४८. | सुरवार | गर्ग | सूर्य | कठियावाड में |
| ४९. | सुर्वैया | वशिष्ठ | यदुवंश | काठियावाड |
| ५०. | मोरी | ब्रह्मगौतम | सूर्य | मथुरा आगरा धौलपुर |
| ५१. | टांक (तत्तक) | शौनिक | नागवंश | मैनपुरी और पंजाब |
| ५२. | गुप्त | गार्ग्य | चन्द्र | अब इस वंश का पता नही है |
| ५३. | कौशिक | कौशिक | चन्द्र | बलिया आजमगढ गोरखपुर |
| ५४. | भृगुवंशी | भार्गव | चन्द्र | वनारस बलिया आजमगढ गोरखपुर |
| ५५. | गर्गवंशी | गर्ग | ब्रह्मक्षत्रिय | नृसिंहपुर सुल्तानपुर |
| ५६. | पडियारिया, | देवल,सांकृतसाम | ब्रह्मक्षत्रिय | राजपूताना |
| ५७. | ननवग | कौशल्य | चन्द्र | जौनपुर जिला |
| ५८. | वनाफ़र | पाराशर,कश्यप | चन्द्र | बुन्देलखन्ड बांदा वनारस |
| ५९. | जैसवार | कश्यप | यदुवंशी | मिर्जापुर एटा मैनपुरी |
| ६०. | चौलवंश | भारद्वाज | सूर्य | दक्षिण मद्रास तमिलनाडु कर्नाटक में |
| ६१. | निमवंशी | कश्यप | सूर्य | संयुक्त प्रांत |
| ६२. | वैनवंशी | वैन्य | सोमवंशी | मिर्जापुर |
| ६३. | दाहिमा | गार्गेय | ब्रह्मक्षत्रिय | काठियावाड राजपूताना |
| ६४. | पुण्डीर | कपिल | ब्रह्मक्षत्रिय | पंजाब गुजरात रींवा यू.पी. |
| ६५. | तुलवा | आत्रेय | चन्द्र | राजाविजयनगर |
| ६६. | कटोच | कश्यप | भूमिवंश | राजानादौन कोटकांगडा |
| ६७. | चावडा,पंवार,चोहान,वर्तमान कुमावत | वशिष्ठ | पंवार की शाखा | मलवा रतलाम उज्जैन गुजरात मेवाड |
| ६८. | अहवन | वशिष्ठ | चावडा,कुमावत | खेरी हरदोई सीतापुर बारांबंकी |
| ६९. | डौडिया | वशिष्ठ | पंवार शाखा | बुलंदशहर मुरादाबाद बांदा मेवाड गल्वा पंजाब |
| ७०. | गोहिल | बैजबापेण | गहलोत शाखा | काठियावाड |
| ७१. | बुन्देला | कश्यप | गहरवारशाखा | बुन्देलखंड के रजवाडे |
| ७२. | काठी | कश्यप | गहरवारशाखा | काठियावाड झांसी बांदा |
| ७३. | जोहिया | पाराशर | चन्द्र | पंजाब देश मे |
| ७४. | गढावंशी | कांवायन | चन्द्र | गढावाडी के लिंगपट्टम में |
| ७५. | मौखरी | अत्रय | चन्द्र | प्राचीन राजवंश था |
| ७६. | लिच्छिवी | कश्यप | सूर्य | प्राचीन राजवंश था |
| ७७. | बाकाटक | विष्णुवर्धन | सूर्य | अब पता नहीं चलता है |
| ७८. | पाल | कश्यप | सूर्य | यह वंश सम्पूर्ण भारत में बिखर गया है |
| ७९. | सैन | अत्रय | ब्रह्मक्षत्रिय | यह वंश भी भारत में बिखर गया है |
| ८०. | कदम्ब | मान्डग्य | ब्रह्मक्षत्रिय | दक्षिण महाराष्ट्र मे हैं |
| ८१. | पोलच | भारद्वाज | ब्रह्मक्षत्रिय | दक्षिण में मराठा के पास में है |
| ८२. | बाणवंश | कश्यप | असुरवंश | श्री लंका और दक्षिण भारत में,कैन्या जावा में |
| ८३. | काकुतीय | भारद्वाज | चन्द्र,प्राचीन सूर्य था | अब पता नही मिलता है |
| ८४. | सुणग वंश | भारद्वाज | चन्द्र,पाचीन सूर्य था, | अब पता नही मिलता है |
| ८५. | दहिया | कश्यप | राठौड शाखा | मारवाड में जोधपुर |
| ८६. | जेठवा | कश्यप | हनुमानवंशी | राजधूमली काठियावाड |
| ८७. | मोहिल | वत्स | चौहान शाखा | महाराष्ट्र मे है |
| ८८. | बल्ला | भारद्वाज | सूर्य | काठियावाड मे मिलते हैं |
| ८९. | डाबी | वशिष्ठ | यदुवंश | राजस्थान |
| ९०. | खरवड | वशिष्ठ | यदुवंश | मेवाड उदयपुर |
| ९१. | सुकेत | भारद्वाज | गौड की शाखा | पंजाब में पहाडी राजा |
| ९२. | पांड्य | अत्रय | चन्द | अब इस वंश का पता नहीं |
| ९३. | पठानिया | पाराशर | वनाफ़रशाखा | पठानकोट राजा पंजाब |
| ९४. | बमटेला | शांडल्य | विसेन शाखा | हरदोई फ़र्रुखाबाद |
| ९५. | बारहगैया | वत्स | चौहान | गाजीपुर |
| ९६. | भैंसोलिया | वत्स | चौहान | भैंसोल गाग सुल्तानपुर |
| ९७. | चन्दोसिया | भारद्वाज | वैस | सुल्तानपुर |
| ९८. | चौपटखम्ब | कश्यप | ब्रह्मक्षत्रिय | जौनपुर |
| ९९. | धाकरे | भारद्वाज(भृगु) | ब्रह्मक्षत्रिय | आगरा मथुरा मैनपुरी इटावा हरदोई बुलन्दशहर |
| १००. | धन्वस्त | यमदाग्नि | ब्रह्मक्षत्रिय | जौनपुर आजमगढ वनारस |
| १०१. | धेकाहा | कश्यप | पंवार की शाखा | भोजपुर शाहाबाद |
| १०२. | दोबर(दोनवर) | वत्स या कश्यप | ब्रह्मक्षत्रिय | गाजीपुर बलिया आजमगढ गोरखपुर |
| १०३. | हरद्वार | भार्गव | चन्द्र शाखा | आजमगढ |
| १०४. | जायस | कश्यप | राठौड की शाखा | रायबरेली मथुरा |
| १०५. | जरोलिया | व्याघ्रपद | चन्द्र | बुलन्दशहर |
| १०६. | जसावत | मानव्य | कछवाह शाखा | मथुरा आगरा |
| १०७. | जोतियाना(भुटियाना) | मानव्य | कश्यप,कछवाह शाखा | मुजफ़्फ़रनगर मेरठ |
| १०८. | घोडेवाहा | मानव्य | कछवाह शाखा | लुधियाना होशियारपुर जालन्धर |
| १०९. | कछनिया | शान्डिल्य | ब्रह्मक्षत्रिय | अवध के जिलों में |
| ११०. | काकन | भृगु | ब्रह्मक्षत्रिय | गाजीपुर आजमगढ |
| १११. | कासिब | कश्यप | कछवाह शाखा | शाहजहांपुर |
| ११२. | किनवार | कश्यप | सेंगर की शाखा | पूर्व बंगाल और बिहार में |
| ११३. | बरहिया | गौतम | सेंगर की शाखा | पूर्व बंगाल और बिहार |
| ११४. | लौतमिया | भारद्वाज | बढगूजर शाखा | बलिया गाजी पुर शाहाबाद |
| ११५. | मौनस | मानव्य | कछवाह शाखा | मिर्जापुर प्रयाग जौनपुर |
| ११६. | नगबक | मानव्य | कछवाह शाखा | जौनपुर आजमगढ मिर्जापुर |
| ११७. | पलवार | व्याघ्र | सोमवंशी शाखा | आजमगढ फ़ैजाबाद गोरखपुर |
| ११८. | रायजादे | पाराशर | चन्द्र की शाखा | पूर्व अवध में |
| ११९. | सिंहेल | कश्यप | सूर्य | आजमगढ परगना मोहम्दाबाद |
| १२०. | तरकड | कश्यप | दीक्षित शाखा | आगरा मथुरा |
| १२१. | तिसहिया | कौशल्य | परिहार | इलाहाबाद परगना हंडिया |
| १२२. | तिरोता | कश्यप | तंवर की शाखा | आरा शाहाबाद भोजपुर |
| १२३. | उदमतिया | वत्स | ब्रह्मक्षत्रिय | आजमगढ गोरखपुर |
| १२४. | भाले | वशिष्ठ | पंवार | अलीगढ |
| १२५. | भालेसुल्तान | भारद्वाज | वैस की शाखा | रायबरेली लखनऊ उन्नाव |
| १२६. | जैवार | व्याघ्र | तंवर की शाखा | दतिया झांसी बुन्देलखंड |
| १२७. | सरगैयां | व्याघ्र | सोमवंश | हमीरपुर बुन्देलखण्ड |
| १२८. | किसनातिल | अत्रय | तोमरशाखा | दतिया बुन्देलखंड |
| १२९. | टडैया | भारद्वाज | सोलंकीशाखा | झांसी ललितपुर बुन्देलखंड |
| १३०. | खागर | अत्रय | यदुवंश शाखा | जालौन हमीरपुर झांसी |
| १३१. | पिपरिया | भारद्वाज | गौडों की शाखा | बुन्देलखंड |
| १३२. | सिरसवार | अत्रय | चन्द्र शाखा | बुन्देलखंड |
| १३३. | खींचर | वत्स | चौहान शाखा | फ़तेहपुर में असौंथड राज्य |
| १३४. | खाती | कश्यप | दीक्षित शाखा | बुन्देलखंड,राजस्थान में कम संख्या होने के कारण इन्हे बढई गिना जाने लगा |
| १३५. | आहडिया | बैजवापेण | गहलोत | आजमगढ |
| १३६. | उदावत | बैजवापेण | गहलोत | आजमगढ |
| १३७. | उजैने | वशिष्ठ | पंवार | आरा डुमरिया |
| १३८. | अमेठिया | भारद्वाज | गौड | अमेठी लखनऊ सीतापुर |
| १३९. | दुर्गवंशी | कश्यप | दीक्षित | राजा जौनपुर राजाबाजार |
| १४०. | बिलखरिया | कश्यप | दीक्षित | प्रतापगढ उमरी राजा |
| १४१. | डोमरा | कश्यप | सूर्य | कश्मीर राज्य और बलिया |
| १४२. | निर्वाण | वत्स | चौहान | राजपूताना (राजस्थान) |
| १४३. | जाटू | व्याघ्र | तोमर | राजस्थान,हिसार पंजाब |
| १४४. | नरौनी | मानव्य | कछवाहा | बलिया आरा |
| १४५. | भनवग | भारद्वाज | कनपुरिया | जौनपुर |
| १४६. | गिदवरिया | वशिष्ठ | पंवार | बिहार मुंगेर भागलपुर |
| १४७. | रक्षेल | कश्यप | सूर्य | रीवा राज्य में बघेलखंड |
| १४८. | कटारिया | भारद्वाज | सोलंकी | झांसी मालवा बुन्देलखंड |
| १४९. | रजवार | वत्स | चौहान | पूर्व मे बुन्देलखंड |
| १५०. | द्वार | व्याघ्र | तोमर | जालौन झांसी हमीरपुर |
| १५१. | इन्दौरिया | व्याघ्र | तोमर | आगरा मथुरा बुलन्दशहर |
| १५२. | छोकर | अत्रय | यदुवंश | अलीगढ मथुरा बुलन्दशहर |
| १५३. | जांगडा | वत्स | चौहान | बुलन्दशहर पूर्व में झांसी |
चौहान वंश
चह्वान (चतुर्भुज)
अग्निवंश के सम्मेलन कर्ता ऋषि
१.वत्सम ऋषि,२.भार्गव ऋषि,३.अत्रि ऋषि,४.विश्वामित्र,५.चमन ऋषि
विभिन्न ऋषियों ने प्रकट होकर अग्नि में आहुति दी तो विभिन्न चार वंशों की उत्पत्ति हुयी जो इस इस प्रकार से है-
१.पाराशर ऋषि ने प्रकट होकर आहुति दी तो परिहार की उत्पत्ति हुयी (पाराशर गोत्र)
२.वशिष्ठ ऋषि की आहुति से परमार की उत्पत्ति हुयी (वशिष्ठ गोत्र)
३.भारद्वाज ऋषि ने आहुति दी तो सोलंकी की उत्पत्ति हुयी (भारद्वाज गोत्र)
४.वत्स ऋषि ने आहुति दी तो चतुर्भुज चौहान की उत्पत्ति हुयी (वत्स गोत्र)
२.वशिष्ठ ऋषि की आहुति से परमार की उत्पत्ति हुयी (वशिष्ठ गोत्र)
३.भारद्वाज ऋषि ने आहुति दी तो सोलंकी की उत्पत्ति हुयी (भारद्वाज गोत्र)
४.वत्स ऋषि ने आहुति दी तो चतुर्भुज चौहान की उत्पत्ति हुयी (वत्स गोत्र)
चौहानों की उत्पत्ति आबू शिखर मे हुयी
दोहा-
चौहान को वंश उजागर है,जिन जन्म लियो धरि के भुज चारी,
बौद्ध मतों को विनास कियो और विप्रन को दिये वेद सुचारी॥
दोहा-
चौहान को वंश उजागर है,जिन जन्म लियो धरि के भुज चारी,
बौद्ध मतों को विनास कियो और विप्रन को दिये वेद सुचारी॥
चौहान की कई पीढियों के बाद अजय पाल जी महाराज पैदा हुये
जिन्होने आबू पर्वत छोड कर अजमेर शहर बसाया
अजमेर मे पृथ्वी तल से १५ मील ऊंचा तारागढ किला बनाया जिसकी वर्तमान में १० मील ऊंचाई है,महाराज अजयपाल जी चक्रवर्ती सम्राट हुये.
जिन्होने आबू पर्वत छोड कर अजमेर शहर बसाया
अजमेर मे पृथ्वी तल से १५ मील ऊंचा तारागढ किला बनाया जिसकी वर्तमान में १० मील ऊंचाई है,महाराज अजयपाल जी चक्रवर्ती सम्राट हुये.
इसी में कई वंश बाद माणिकदेवजू हुये,जिन्होने सांभर झील बनवाई थी।
सांभर बिन अलोना खाय,माटी बिके यह भेद कहाय"
इनकी बहुत पीढियों के बाद माणिकदेवजू उर्फ़ लाखनदेवजू हुये
इनके चौबीस पुत्र हुये और इन्ही नामो से २४ शाखायें चलीं
चौबीस शाखायें इस प्रकार से है-
१. मुहुकर्ण जी उजपारिया या उजपालिया चौहान पृथ्वीराज का वंश
२.लालशाह उर्फ़ लालसिंह मदरेचा चौहान जो मद्रास में बसे हैं
३. हरि सिंह जी धधेडा चौहान बुन्देलखंड और सिद्धगढ में बसे है
४. सारदूलजी सोनगरा चौहान जालोर झन्डी ईसानगर मे बसे है
५. भगतराजजी निर्वाण चौहान खंडेला से बिखराव
६. अष्टपाल जी हाडा चौहान कोटा बूंदी गद्दी सरकार से सम्मानित २१ तोपों की सलामी
७.चन्द्रपाल जी भदौरिया चौहान चन्द्रवार भदौरा गांव नौगांव जिला आगरा
८.चौहिल जी चौहिल चौहान नाडौल मारवाड बिखराव हो गया
९. शूरसेन जी देवडा चौहान सिरोही (सम्मानित)
१०.सामन्त जी साचौरा चौहान सन्चौर का राज्य टूट गया
११.मौहिल जी मौहिल चौहान मोहिल गढ का राज्य टूट गया
१२.खेवराज जी उर्फ़ अंड जी वालेगा चौहान पटल गढ का राज्य टूट गया बिखराव
१३. पोहपसेन जी पवैया चौहान पवैया गढ गुजरात
१४. मानपाल जी मोरी चौहान चान्दौर गढ की गद्दी
१५. राजकुमारजी राजकुमार चौहान बालोरघाट जिला सुल्तानपुर में
१६.जसराजजी जैनवार चौहान पटना बिहार गद्दी टूट गयी
१७.सहसमल जी वालेसा चौहान मारवाड गद्दी
१८.बच्छराजजी बच्छगोत्री चौहान अवध में गद्दी टूटगयी.
१९.चन्द्रराजजी चन्द्राणा चौहान अब यह कुल खत्म हो गया है
२०. खनगराजजी कायमखानी चौहान झुन्झुनू मे है लेकिन गद्दी टूट गयी है,मुसलमान बन गये है
२१. हर्राजजी जावला चौहान जोहरगढ की गद्दी थे लेकिन टूट गयी.
२२.धुजपाल जी गोखा चौहान गढददरेश मे जाकर रहे.
२३.किल्लनजी किशाना चौहान किशाना गोत्र के गूजर हुये जो बांदनवाडा अजमेर मे है
२४.कनकपाल जी कटैया चौहान सिद्धगढ मे गद्दी (पंजाब)
२.लालशाह उर्फ़ लालसिंह मदरेचा चौहान जो मद्रास में बसे हैं
३. हरि सिंह जी धधेडा चौहान बुन्देलखंड और सिद्धगढ में बसे है
४. सारदूलजी सोनगरा चौहान जालोर झन्डी ईसानगर मे बसे है
५. भगतराजजी निर्वाण चौहान खंडेला से बिखराव
६. अष्टपाल जी हाडा चौहान कोटा बूंदी गद्दी सरकार से सम्मानित २१ तोपों की सलामी
७.चन्द्रपाल जी भदौरिया चौहान चन्द्रवार भदौरा गांव नौगांव जिला आगरा
८.चौहिल जी चौहिल चौहान नाडौल मारवाड बिखराव हो गया
९. शूरसेन जी देवडा चौहान सिरोही (सम्मानित)
१०.सामन्त जी साचौरा चौहान सन्चौर का राज्य टूट गया
११.मौहिल जी मौहिल चौहान मोहिल गढ का राज्य टूट गया
१२.खेवराज जी उर्फ़ अंड जी वालेगा चौहान पटल गढ का राज्य टूट गया बिखराव
१३. पोहपसेन जी पवैया चौहान पवैया गढ गुजरात
१४. मानपाल जी मोरी चौहान चान्दौर गढ की गद्दी
१५. राजकुमारजी राजकुमार चौहान बालोरघाट जिला सुल्तानपुर में
१६.जसराजजी जैनवार चौहान पटना बिहार गद्दी टूट गयी
१७.सहसमल जी वालेसा चौहान मारवाड गद्दी
१८.बच्छराजजी बच्छगोत्री चौहान अवध में गद्दी टूटगयी.
१९.चन्द्रराजजी चन्द्राणा चौहान अब यह कुल खत्म हो गया है
२०. खनगराजजी कायमखानी चौहान झुन्झुनू मे है लेकिन गद्दी टूट गयी है,मुसलमान बन गये है
२१. हर्राजजी जावला चौहान जोहरगढ की गद्दी थे लेकिन टूट गयी.
२२.धुजपाल जी गोखा चौहान गढददरेश मे जाकर रहे.
२३.किल्लनजी किशाना चौहान किशाना गोत्र के गूजर हुये जो बांदनवाडा अजमेर मे है
२४.कनकपाल जी कटैया चौहान सिद्धगढ मे गद्दी (पंजाब)
उपरोक्त प्रशाखाओं में अब करीब १२५ हैं
बाद में आनादेवजू पैदा हुये
आनादेवजू के सूरसेन जी और दत्तकदेवजू पैदा हुये
सूरसेन जी के ढोडेदेवजी हुये जो ढूढाड प्रान्त में था,यह नरमांस भक्षी भी थे.
ढोडेदेवजी के चौरंगी-—सोमेश्वरजी--—कान्हदेवजी हुये
आनादेवजू के सूरसेन जी और दत्तकदेवजू पैदा हुये
सूरसेन जी के ढोडेदेवजी हुये जो ढूढाड प्रान्त में था,यह नरमांस भक्षी भी थे.
ढोडेदेवजी के चौरंगी-—सोमेश्वरजी--—कान्हदेवजी हुये
सोम्श्वरजी को चन्द्रवंश में उत्पन्न अनंगपाल की पुत्री कमला ब्याही गयीं थीं
सोमेश्वरजी के पृथ्वीराजजी हुये
पृथ्वीराजजी के-
रेनसी कुमार जो कन्नौज की लडाई मे मारे गये
अक्षयकुमारजी जो महमूदगजनवी के साथ लडाई मे मारे गये
बलभद्र जी गजनी की लडाई में मारे गये
इन्द्रसी कुमार जो चन्गेज खां की लडाई में मारे गये
पृथ्वीराजजी के-
रेनसी कुमार जो कन्नौज की लडाई मे मारे गये
अक्षयकुमारजी जो महमूदगजनवी के साथ लडाई मे मारे गये
बलभद्र जी गजनी की लडाई में मारे गये
इन्द्रसी कुमार जो चन्गेज खां की लडाई में मारे गये
पृथ्वीराज ने अपने चाचा कान्हादेवजी का लडका गोद लिया जिसका नाम राव हम्मीरदेवजू था
हम्मीरदेवजू के-दो पुत्र हुये रावरतन जी और खानवालेसी जी
रावरतन सिंह जी ने नौ विवाह किये थे और जिनके अठारह संताने थीं,
सत्रह पुत्र मारे गये
एक पुत्र चन्द्रसेनजी रहे
चार पुत्र बांदियों के रहे
हम्मीरदेवजू के-दो पुत्र हुये रावरतन जी और खानवालेसी जी
रावरतन सिंह जी ने नौ विवाह किये थे और जिनके अठारह संताने थीं,
सत्रह पुत्र मारे गये
एक पुत्र चन्द्रसेनजी रहे
चार पुत्र बांदियों के रहे
खानवालेसी जी हुये जो नेपाल चले गये और सिसौदिया चौहान कहलाये.
रावरतन देवजी के पुत्र संकट देवजी हुये
संकटदेव जी के छ: पुत्र हुये
१. धिराज जू जो रिजोर एटा में जाकर बसे इन्हे राजा रामपुर की लडकी ब्याही गयी थी
२. रणसुम्मेरदेवजी जो इटावा खास में जाकर बसे और बाद में प्रतापनेर में बसे
३. प्रतापरुद्रजी जो मैनपुरी में बसे
४. चन्द्रसेन जी जो चकरनकर में जाकर बसे
५. चन्द्रशेव जी जो चन्द्रकोणा आसाम में जाकर बसे इनकी आगे की संतति में सबल सिंह चौहान हुये जिन्होने महाभारत पुराण की टीका लिखी.
संकटदेव जी के छ: पुत्र हुये
१. धिराज जू जो रिजोर एटा में जाकर बसे इन्हे राजा रामपुर की लडकी ब्याही गयी थी
२. रणसुम्मेरदेवजी जो इटावा खास में जाकर बसे और बाद में प्रतापनेर में बसे
३. प्रतापरुद्रजी जो मैनपुरी में बसे
४. चन्द्रसेन जी जो चकरनकर में जाकर बसे
५. चन्द्रशेव जी जो चन्द्रकोणा आसाम में जाकर बसे इनकी आगे की संतति में सबल सिंह चौहान हुये जिन्होने महाभारत पुराण की टीका लिखी.
मैनपुरी में बसे राजा प्रतापरुद्रजी के दो पुत्र हुये
१.राजा विरसिंह जू देव जो मैनपुरी में बसे
२. धारक देवजू जो पतारा क्षेत्र मे जाकर बसे
१.राजा विरसिंह जू देव जो मैनपुरी में बसे
२. धारक देवजू जो पतारा क्षेत्र मे जाकर बसे
मैनपुरी के राजा विरसिंह जू देव के चार पुत्र हुये
१. महाराजा धीरशाह जी इनसे मैनपुरी के आसपास के गांव बसे
२.राव गणेशजी जो एटा में गंज डुडवारा में जाकर बसे इनके २७ गांव पटियाली आदि हैं
३. कुंअर अशोकमल जी के गांव उझैया अशोकपुर फ़कीरपुर आदि हैं
४.पूर्णमल जी जिनके सौरिख सकरावा जसमेडी आदि गांव हैं
१. महाराजा धीरशाह जी इनसे मैनपुरी के आसपास के गांव बसे
२.राव गणेशजी जो एटा में गंज डुडवारा में जाकर बसे इनके २७ गांव पटियाली आदि हैं
३. कुंअर अशोकमल जी के गांव उझैया अशोकपुर फ़कीरपुर आदि हैं
४.पूर्णमल जी जिनके सौरिख सकरावा जसमेडी आदि गांव हैं
महाराजा धीरशाह जी के तीन पुत्र हुये
१. भाव सिंह जी जो मैनपुरी में बसे
२. भारतीचन्द जी जिनके नोनेर कांकन सकरा उमरैन दौलतपुर आदि गांव बसे
२. खानदेवजू जिनके सतनी नगलाजुला पंचवटी के गांव हैं
१. भाव सिंह जी जो मैनपुरी में बसे
२. भारतीचन्द जी जिनके नोनेर कांकन सकरा उमरैन दौलतपुर आदि गांव बसे
२. खानदेवजू जिनके सतनी नगलाजुला पंचवटी के गांव हैं
खानदेव जी के भाव सिंह जी हुये
भावसिंह जी के देवराज जी हुये
देवराज जी के धर्मांगद जी हुये
धर्मांगद जी के तीन पुत्र हुये
१. जगतमल जी जो मैनपुरी मे बसे
२. कीरत सिंह जी जिनकी संतति किशनी के आसपास है
३. पहाड सिंह जी जो सिमरई सहारा औरन्ध आदि गावों के आसपास हैं
भावसिंह जी के देवराज जी हुये
देवराज जी के धर्मांगद जी हुये
धर्मांगद जी के तीन पुत्र हुये
१. जगतमल जी जो मैनपुरी मे बसे
२. कीरत सिंह जी जिनकी संतति किशनी के आसपास है
३. पहाड सिंह जी जो सिमरई सहारा औरन्ध आदि गावों के आसपास हैं