रुद्राक्ष (Rudraksha)
क्या आप जानते हैं कि.... रुद्राक्ष क्या है ... एवं, इसके क्या महत्व हैं...?
क्योंकि... जैसा कि हम सभी जानते हैं कि... रुद्राक्ष के बिना भगवान् भोलेनाथ की चर्चा अधूरी ही जान पड़ती है... परन्तु, दरअसल रुद्राक्ष है क्या ... इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही ज्ञात है...!
रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है ..... और, इसका संधिविच्छेद होता है.... रुद्र+अक्ष...!
अर्थात .... रुद्र अर्थात भगवान शंकर व अक्ष अर्थात आंसू....।
मान्यता है कि.....भगवान शिव के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें भूमि पर गिरने से महान रुद्राक्ष अवतरित हुआ और भगवान शिव की आज्ञा पाकर वृक्षों पर रुद्राक्ष फलों के रूप में प्रकट हो गए।
यह माना जाता है कि.... रुद्राक्ष अड़तीस प्रकार के हैं, जिनमें कत्थई वाले बारह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति सूर्य के नेत्रों से, श्वेतवर्ण के सोलह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति चन्द्रमा के नेत्रों से तथा कृष्ण वर्ण वाले दस प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से होती है।
आइए जानें कि ....रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुए शिव कृपा पा सकते हैं
हमारे धर्म ग्रथ कहते हैं कि ....
यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्ष: फलद: शुभ:।
न तथा दृश्यते अन्या च मालिका परमेश्वरि:।।
अर्थात संसार में रुद्राक्ष की माला की तरह अन्य कोई दूसरी माला फलदायक और शुभ नहीं है।
उसी तरह....श्रीमद्- देवीभागवत में लिखा है :
रुद्राक्षधारणाद्य श्रेष्ठं न किञ्चिदपि विद्यते।
अर्थात संसार में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर श्रेष्ठ कोई दूसरी वस्तु नहीं है।
ध्यान रहे कि ....रुद्राक्ष की दो जातियां होती हैं- रुद्राक्ष एवं भद्राक्ष
रुद्राक्ष के मध्य में भद्राक्ष धारण करना महान फलदायक होता है।
भिन्न-भिन्न संख्या में पहनी जाने वाली रुद्राक्ष की माला निम्न प्रकार से फल प्रदान करने में सहायक होती है जो इस प्रकार है
1 रुद्राक्ष के सौ मनकों की माला धारण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2 रुद्राक्ष के एक सौ आठ मनकों को धारण करने से समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस माला को धारण करने वाला अपनी पीढ़ियों का उद्घार करता है।
3 रुद्राक्ष के एक सौ चालीस मनकों की माला धारण करने से साहस, पराक्रम और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
4 रुद्राक्ष के बत्तीस दानों की माला धारण करने से धन, संपत्ति एवं आयु में वृद्धि होती है।
5 रुद्राक्ष के 26 मनकों की माला को सर पर धारण करना चाहिए।
6 रुद्राक्ष के 50 दानों की माला कंठ में धारण करना शुभ होता है।
7 रुद्राक्ष के पंद्रह मनकों की माला मंत्र जप तंत्र सिद्धि जैसे कार्यों के लिए उपयोगी होती है।
8 रुद्राक्ष के सोलह मनकों की माला को हाथों में धारण करना चाहिए।
9 रुद्राक्ष के बारह दानों को मणि बंध में धारण करना शुभदायक होता है।
10 रुद्राक्ष के 108, 50 और 27 दानों की माला धारण करने या जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
अब अगर हम आस्था से इतर .... इसकी वैज्ञानिकता की बात करें तो.... निश्चय ही आपको खुद के हिन्दू होने एवं अपने धर्म ग्रंथों पर गर्व होगा....
क्योंकि... वैज्ञानिक परीक्षणों से ज्ञात हुआ है कि... रुद्राक्ष में ""प्रभावशाली विद्युत् -चुंबकीय तत्व ( Electro Magnatic Property ) होते हैं ...जो अनियमित ह्रदय को नियमित करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.... और, इसके कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं है...!
शायद इसीलिए.... अगल-अगल अवस्था में , रुद्राक्ष के अलग -अलग मनका निर्धारित किये गए हैं.... साथ ही.... रुद्राक्ष को .... अंगूठी में लगा कर पहनने अथवा रात्रि में शयन करते समय धारण करने से निषेध किया गया है...!
खैर....
वैज्ञानिकता से परिपूर्ण आस्था को आगे बढ़ाते हुए ... रुद्राक्ष के बारे निःसंकोच कहा जा सकता है कि....
जो व्यक्ति पवित्र और शुद्ध मन से भगवान शंकर की आराधना करके रुद्राक्ष धारण करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है..।
और, मान्यता तो यहाँ तक है कि..... इसके दर्शन मात्र से ही पापों का क्षय हो जाता है.....।
इसीलिए , जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है, वहां लक्ष्मी जी का वास रहता है...।
रुद्राक्ष...... भगवान शंकर की एक अमूल्य और अदभुत देन है और, यह भगवान् भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है..... इसीलिए , इसके स्पर्श तथा इसके द्वारा जप करने से ही समस्त पाप से निवृत्त हो जाते है और लौकिक-परलौकिक एवं भौतिक सुख की प्राप्ति होती है...।