विष्णु के दस अवतारों का रहस्य तथा विज्ञान (Science and Secret behind ten Incarnation of Vishnu)
हिन्दू धर्म ग्रंथों में लिखे एक-एक लाइन का वैज्ञानिक आधार है.... बशर्ते उसे समझने की अक्ल होनी चाहिए.....!
पुराणोँ को ध्यान से पढ़ने के पश्चात मालूम चलता है कि इसमेँ अधिकांश बातें वैज्ञानिक और प्राकृतिक है .. जिसे कहीं मानवीकरण के द्वारा तो कहीं रूप-अलंकार के द्वारा बताया गया है।
उदाहरण के तौर पर... भगवान विष्णु के सभी अवतारों को हम आधुनिक क्रमिक विकास से संबंधित कर सकते हैं ...!
विष्णु अवतार के ये विभिन्न अवतार हमें धरती पर प्रभुत्व वाले जीवोँ की जानकारी देते हैं ..... जो धरती पर विभिन्न कालों में राज किया करते थे ।
1. प्रथम अवतार ......"मत्स्य"........एक जीव है जो केवल पानी में रहते हैं.. और, वैष्णव के अनुसार धरती पर जीव की उत्पत्ति समुद्र के झाग या मिनरल से हुई थी ।
2. दूसरा अवतार....... "कुर्मा"...... एक जीव है ... जो पानी और भूमि ( उभयचर ) दोनों जगहों में रह सकता है... तथा, इसी प्रकार के जीवोँ से धरती पर अन्य जीवोँ की भी उत्पत्ति मानी जाती है ।
3. तीसरा अवतार... "वाराह"....एक जीव है.. जो केवल जमीन पर रहते हैं ( स्विमिंग करने की क्षमता के साथ )
वाराह का मतलब .....कुछ लोग सूकर अवतार समझ लेते हैँ..... जो कि पूर्णतया गलत है.....!
वाराह का मतलब ....... वैसा कोई भी सामान जो जल्दी फैल जाता हो या फैलने के गुण रखने वाला जानवर या सामान.....!
इसीलिए , वाराह शब्द का प्रयोग ब्रह्माण्ड में भी होता है ।
परन्तु, यहाँ अवतारों में वाराह..... "डायनासोर" जैसे जीव को कहा गया है ।
4. चौथा अवतार....... नरसिम्हा...... आधा शेर और आधे मानव...... एक अवस्था होमो शेपियनंस और जानवरों के बीच की है ..... जिसे आप आदिमानव भी कह सकते हो...!
5. पांचवें अवतार....... "वामन"....... छोटे कद के साथ..... होमो सेपियंश .
6. छठा अवतार....... परशुराम...... किसी न किसी रूप में कठिन मानव ( कुल्हाड़ी के साथ राम ) ..... आप इन्हें शिकारी मानव भी कह सकते हो...!
7. सातवां अवतार ...... श्री राम........ सही सभ्य मानव ( एक धनुष और महान प्रथाओं के साथ राम )
8. आठवां अवतार...... भगवान श्रीकृष्ण..... अलौकिक बुद्धिमता (मूल अभिव्यक्ति) वाले .... ये धरती के प्रखर बुद्धिमता और राज-सत्ता एवं सामाजिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं..!
9. नौवां अवतार .... बलराम...... व्यावसायिक कौशल के साथ मानव ( हल के साथ बलराम ,कृषि और व्यवसाय को दर्शाते हैं )
नौवां अवतार दक्षिण भारत के विष्णु अवतार मेँ बलराम को कहा जाता है जो कृषक या व्यापारी वर्ग के रक्षक और उनके देवता माने जाते हैँ ।
जबकि उत्तर भारत के विष्णु अवतार मेँ नौवां अवतार बुध का आता है.... और, ये भी बलराम की तरह व्यापारी वर्ग के देवता हैँ .....और. व्यापारियोँ के रक्षक हैं।
इनके नाम से एक ग्रह का नाम भी बुध है ।
हालाँकि.... कुछ लोग विष्णु के नौवें अवतार को "गौतम बुद्ध" का नाम बताते हैँ या समझ जाते है .... जो कि सही प्रतीत नहीं होता है
क्योंकि ... धरती पर शिकार युग के समाप्ति के पश्चात् व्यापार की ही महत्ता बढ़ी है... और, इसी व्यापार ने हमारे भारत को सोने की चिड़िया बनाया ...!
साथ ही.... अगर गौतम बुद्ध ही विष्णु के नौवें अवतार होते तो..... बौद्ध एक संप्रदाय नहीं होता बल्कि, वो सनातन धर्म ही कहलाता ....!
10. दसवीं अवतार...... कल्कि (the mighty worrior)..... apocalyptic ( जो इस महायुग का अंत होगा ! )
इस तरह हम देखते हैं .... आज के हजारों-लाखों साल पहले ही.... हमारे ऋषि-मुनियों ने .... इस पृथ्वी के क्रमिक विकास को अवतारों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया था....!
पुराणोँ को ध्यान से पढ़ने के पश्चात मालूम चलता है कि इसमेँ अधिकांश बातें वैज्ञानिक और प्राकृतिक है .. जिसे कहीं मानवीकरण के द्वारा तो कहीं रूप-अलंकार के द्वारा बताया गया है।
उदाहरण के तौर पर... भगवान विष्णु के सभी अवतारों को हम आधुनिक क्रमिक विकास से संबंधित कर सकते हैं ...!
विष्णु अवतार के ये विभिन्न अवतार हमें धरती पर प्रभुत्व वाले जीवोँ की जानकारी देते हैं ..... जो धरती पर विभिन्न कालों में राज किया करते थे ।
1. प्रथम अवतार ......"मत्स्य"........एक जीव है जो केवल पानी में रहते हैं.. और, वैष्णव के अनुसार धरती पर जीव की उत्पत्ति समुद्र के झाग या मिनरल से हुई थी ।
2. दूसरा अवतार....... "कुर्मा"...... एक जीव है ... जो पानी और भूमि ( उभयचर ) दोनों जगहों में रह सकता है... तथा, इसी प्रकार के जीवोँ से धरती पर अन्य जीवोँ की भी उत्पत्ति मानी जाती है ।
3. तीसरा अवतार... "वाराह"....एक जीव है.. जो केवल जमीन पर रहते हैं ( स्विमिंग करने की क्षमता के साथ )
वाराह का मतलब .....कुछ लोग सूकर अवतार समझ लेते हैँ..... जो कि पूर्णतया गलत है.....!
वाराह का मतलब ....... वैसा कोई भी सामान जो जल्दी फैल जाता हो या फैलने के गुण रखने वाला जानवर या सामान.....!
इसीलिए , वाराह शब्द का प्रयोग ब्रह्माण्ड में भी होता है ।
परन्तु, यहाँ अवतारों में वाराह..... "डायनासोर" जैसे जीव को कहा गया है ।
4. चौथा अवतार....... नरसिम्हा...... आधा शेर और आधे मानव...... एक अवस्था होमो शेपियनंस और जानवरों के बीच की है ..... जिसे आप आदिमानव भी कह सकते हो...!
5. पांचवें अवतार....... "वामन"....... छोटे कद के साथ..... होमो सेपियंश .
6. छठा अवतार....... परशुराम...... किसी न किसी रूप में कठिन मानव ( कुल्हाड़ी के साथ राम ) ..... आप इन्हें शिकारी मानव भी कह सकते हो...!
7. सातवां अवतार ...... श्री राम........ सही सभ्य मानव ( एक धनुष और महान प्रथाओं के साथ राम )
8. आठवां अवतार...... भगवान श्रीकृष्ण..... अलौकिक बुद्धिमता (मूल अभिव्यक्ति) वाले .... ये धरती के प्रखर बुद्धिमता और राज-सत्ता एवं सामाजिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं..!
9. नौवां अवतार .... बलराम...... व्यावसायिक कौशल के साथ मानव ( हल के साथ बलराम ,कृषि और व्यवसाय को दर्शाते हैं )
नौवां अवतार दक्षिण भारत के विष्णु अवतार मेँ बलराम को कहा जाता है जो कृषक या व्यापारी वर्ग के रक्षक और उनके देवता माने जाते हैँ ।
जबकि उत्तर भारत के विष्णु अवतार मेँ नौवां अवतार बुध का आता है.... और, ये भी बलराम की तरह व्यापारी वर्ग के देवता हैँ .....और. व्यापारियोँ के रक्षक हैं।
इनके नाम से एक ग्रह का नाम भी बुध है ।
हालाँकि.... कुछ लोग विष्णु के नौवें अवतार को "गौतम बुद्ध" का नाम बताते हैँ या समझ जाते है .... जो कि सही प्रतीत नहीं होता है
क्योंकि ... धरती पर शिकार युग के समाप्ति के पश्चात् व्यापार की ही महत्ता बढ़ी है... और, इसी व्यापार ने हमारे भारत को सोने की चिड़िया बनाया ...!
साथ ही.... अगर गौतम बुद्ध ही विष्णु के नौवें अवतार होते तो..... बौद्ध एक संप्रदाय नहीं होता बल्कि, वो सनातन धर्म ही कहलाता ....!
10. दसवीं अवतार...... कल्कि (the mighty worrior)..... apocalyptic ( जो इस महायुग का अंत होगा ! )
इस तरह हम देखते हैं .... आज के हजारों-लाखों साल पहले ही.... हमारे ऋषि-मुनियों ने .... इस पृथ्वी के क्रमिक विकास को अवतारों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया था....!