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मार्च, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वैदिक मंत्रों का अनुचित अर्थ (Wrong Translation of vedic Mantras)

हिन्दू धर्म के बारे में फैलाई गयी कुछ गलत बातें..और उनका सही अर्थ जिन्हे धर्म परिवर्तन के लिए हथियार बनाया गया। 1 -वेदों में मदीना का उल्लेख है कहावत है कि बिल्ली को सपने में छीछड़े ही दिखते हैं .इसीतरह किसी मौलवी ने वेदों में दिए गए "अदीना "शब्द को "मदीना "पढ़ लिया .और कहा कि वेद में कहा गया है कि ,हम सौ साल तक मदीना में रहें - " प्रब्रवाम शरदः शतमदीना स्याम शरदः शतम " यजुर्वेद - अध्याय 36 मन्त्र 24 जबकि इसका सही अर्थ है कि हे ईश्वर हम सौ साल तक कभी दीन नहीं रहें ,और किसी के आगे लाचार नहीं रहें 2 -मनुस्मृति में मौलाना इसी तरह मनुस्मृति के "मौलान "शब्द को "मौलाना "बताकर यह साबित करने की कोशिश की गयी कि मनुस्मृति में लिखा है कि ,हर बात मौलाना से पूछ कर करना चाहिए .मनुस्मृति का श्लोक है - " मौलान शाश्त्रविद शूरान लब्ध लक्षान कुलोद्गतान " मनुस्मृति -गृहाश्रम प्रकरण श्लोक 29 इसका वास्तविक अर्थ है कि .किसी क्षेत्र के रीतिरिवाज के बारे में जानकारी के लिए वहां के किसी मूल निवासी ,शाश्त्रविद ,कुलीन और अपना लक्ष्य जानने वाले व्

क्षत्रिय राजपूत इतिहास (History of Kshatriya Rajpoot)

राजपूतों की वंशावली "दस रवि से दस चन्द्र से बारह ऋषिज प्रमाण, चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण." अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है। सूर्य वंश की दस शाखायें:- १. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहलबार ९.रेकबार १०.जुनने चन्द्र वंश की दस शाखायें:- १.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.होंड७.पुण्डीर८.कटैरिया९.स्वांगवंश १०.वैस अग्निवंश की चार शाखायें:- १.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार. ऋषिवंश की बारह शाखायें:- १.सेंगर२.दीक्षित३.दायमा४.गौतम५.अनवार (राजा जनक के वंशज)६.विसेन७.करछुल८.हय९.अबकू तबकू १०.कठोक्स ११.द्लेला १२.बुन्देला चौहान वंश की चौबीस शाखायें:- १.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिय

रुद्राक्ष (Rudraksha)

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क्या आप जानते हैं कि.... रुद्राक्ष क्या है ... एवं, इसके क्या महत्व हैं...? क्योंकि... जैसा कि हम सभी जानते हैं कि... रुद्राक्ष के बिना भगवान् भोलेनाथ की चर्चा अधूरी ही जान पड़ती है... परन्तु, दरअसल रुद्राक्ष है क्या ... इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही ज्ञात है...! रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है ..... और, इसका संधिविच्छेद होता है.... रुद्र+अक्ष...! अर्थात .... रुद्र अर्थात भगवान शंकर व अक्ष अर्थात आंसू....। मान्यता है कि.....भगवान शिव के नेत्रों से जल की कुछ बूंदें भूमि पर गिरने से महान रुद्राक्ष अवतरित हुआ और भगवान शिव की आज्ञा पाकर वृक्षों पर रुद्राक्ष फलों के रूप में प्रकट हो गए। यह माना जाता है कि.... रुद्राक्ष अड़तीस प्रकार के हैं, जिनमें कत्थई वाले बारह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति सूर्य के नेत्रों से, श्वेतवर्ण के सोलह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति चन्द्रमा के नेत्रों से तथा कृष्ण वर्ण वाले दस प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से होती है। आइए जानें कि ....रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते ह