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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्त्रियां नहीं फोड़तीं नारियल (Benefits of Coconut-Narial)

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नारियल की ये प्राचीन बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये है चमत्कारी हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी-देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी ही मानी जाती है। क्या आप जानते हैं नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। स्त्रियां नहीं फोड़तीं नारियल यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती है और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है। सौभाग्य का प्रतीक है नारियल नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का व

पैर के अंगूठे तथा मनुष्य के स्वभाव मे संबन्ध (relation in foot fingers and behavior of a human)

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ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व के साथ भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है और इस शास्त्र का इतिहास भी काफी प्राचीन है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के लिए विशेष लक्षण बताए गए हैं। अंगों की बनावट, आकार और रंग से व्यक्तित्व के रहस्य मालूम होते हैं और इनसे भविष्य की जानकारी भी मिलती है। किसी भी व्यक्ति के पैरों का शेप देखकर भी आसानी से बताया जा सकता है कि स्त्री या पुरुष व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है। 1.दूसरों पर हावी होने का स्वभाव जिन लोगों के पैरों में अंगूठे से घटते क्रम में उंगलियां होती हैं, वे लोग दूसरों पर हावी होने का प्रयास करते हैं। ऐसे पैर का शेप व्यक्ति को अधिकार जताने वाला बनाता है। इस प्रकार के पैर वाले लोग यही चाहते हैं कि हर जगह उन्हें पूरा मान-सम्मान मिले और सभी उनकी बात का अक्षरश: पालन करें। यदि घर-परिवार या समाज में कोई व्यक्ति इनकी इच्छा के अनुसार नहीं चलता है तो इन्हें गुस्सा आता है। इस प्रकार के पैर होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन

कुंडलिनी शक्ति और जागरण (Kundalini Shakti and Enlightenment)

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 क्या आप उर्जा चक्र और कुंडलिनी जागृत करने के बारे में जानते हैं ? क्या आप जानते हैं की वैज्ञानिकों ने पिछले कुछ सालों में मान लिया है कि इनके सही उपयोग से आप अपने खुद के डीएनए को सुगठित व रिबिल्ड तक कर सकते हैं ? सोचिये एक जिन्दा इंसान खुद का डीएनए रिबिल्ड कर सकता है जिसे नोबल पुरूस्कार प्राप्त वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में भी सिर्फ एक डीएनए कोडिंग पर सही ढंग से नहीं कर पाते | क्या आप जानते हैं आधुनिक विज्ञान का मानना है कि सारे आनुवांशिक और अन्य सभी रोगों का इलाज बिना किसी दवा के इस से संभव है? ये हिंदूइस्म का ज्ञान था जो शायद आज हम अधिकतम भूल चुके हैं फिर भी अभी हजारों नागा व अन्य संत इन क्रियाओं को कुछ हद तक जानते हैं ? इसी के द्वारा हमारे पूर्वज बिना कुछ खाए पिए हजारों वर्ष तपस्या करते थे और जीवित रहते थे ? आज हमें जरुरत है वेदों के रहस्यों में डूब जाने की और अपने पुरातन ज्ञान को प्राप्त करने की आधुनिक विज्ञान वहीँ से निकल रहा है पर अफ़सोस हम नहीं ढूंढ रहे korotkov - ये एक नाम है | एक वैज्ञानिक का जो खुद व उनकी पूरी टीम शायद अब हिन्दू है | इन्होंने आधुनिक उपकर

भोजन करने सम्बन्धी 24 जरुरी नियम (24 rules for eating)

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१ पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे ! २. गीले पैरों खाने से आयुमें वृद्धि होती है ! ३. प्रातः और सायं ही भोजनका विधान है !किउंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 ० घंटे बादतक एवं सूर्यास्त से 2 : 3 0 घंटे पहले तक प्रवल रहती है ४. पूर्व और उत्तर दिशा कीओर मुह करके ही खाना चाहिए ! ५. दक्षिण दिशा की ओर कियाहुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है ! ६ . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है ! ७. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो मेंभोजन नहीं करना चाहिए ! ८. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में,अधिक शोर में,पीपल,वट वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए ! ९ परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए ! १०. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इस्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए ! ११. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता ,

महाभारत युद्ध के 10 गुप्त रहस्य (Ten Secrets of Mahabhatara)

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1-महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। यह ग्रंथ हमारे देश के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन-जीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। प्रत्येक हिंदू के घर में महाभारत होना चाहिए। 2-महाभारत में कई घटना, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत का हर पात्र जीवंत है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो। महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है। महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं। 3-दरअसल, महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है। असल में महाभारत की कहानी तो युद्ध के बाद शुरू होती है। आज तक अश्वत्थामा क्यों जीवित है? क्यों यदुवंशियों के नाश का शाप दिया गया था और क्यों धर्म चल पड़ा था कलियुग की राह पर। महाभारत का रहस्य अभी सुलझना बाकी है। महाभारत युद्ध और उससे जुड़े दस रह

महाभारत के राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियाँ (from Mahabharata to today 30 generations)

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महाभारत के बाद से आधुनिक काल तक के सभी राजाओं का विवरण क्रमवार तरीके से नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है...! आपको यह जानकर एक बहुत ही आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी होगी कि महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया था..... जिसका पूरा विवरण इस प्रकार है : क्र................... शासक का नाम.......... वर्ष....माह.. दिन 1. राजा युधिष्ठिर (Raja Yudhisthir)..... 36.... 08.... 25 2 राजा परीक्षित (Raja Parikshit)........ 60.... 00..... 00 3 राजा जनमेजय (Raja Janmejay).... 84.... 07...... 23 4 अश्वमेध (Ashwamedh )................. 82.....08..... 22 5 द्वैतीयरम (Dwateeyram )............... 88.... 02......08 6 क्षत्रमाल (Kshatramal)................... 81.... 11..... 27 7 चित्ररथ (Chitrarath)...................... 75......03.....18 8 दुष्टशैल्य (Dushtashailya)............... 75.....10.......24 9 राजा उग्रसेन (Raja Ugrasain)......... 78.....07.......21 10 राजा शूरसेन (Raja Shoorsain).......78....07........21 11 भुवनपति (Bhuwanpati)..........

सिद्ध वशीकरण मन्त्र (Sidhdha Vashikarana Mantras)

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सिद्ध वशीकरण मन्त्र vashikarana mantra १॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी।  आगू म राखौं सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।” विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में १०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर १०८ बार मन्त्र जपे। मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक इच्छित व्यक्ति के सामने हो। २॰ शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र “ॐ ह्रीं

शनि मंत्र यन्त्र तथा व्रत की विधि (Shani mantra, Yantra and vrat vidhi )

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शनिदेव की कथा के अनुसार शनिदेव की शक्ति और पराक्रम को देखकर भगवान शंकर ने उन्हें अपना शिष्य बनाया और उन्हें दंडाधिकारी का पद प्रदान किया। शनिदेव के हाथों में दंड का होना इसी घटना का प्रतीक चिन्ह है। शनि महाराज प्राfणयों को उसके कर्म के अनुसार फल देते हैं जिससे प्राणियों को कष्ट महसूस होता है और उन्हें क्रूर देव की संज्ञा दी जाती हैं शनि पक्षरहित होकर अगर पाप कर्म की सजा देते हैं तो उत्तम कर्म करने वाले मनुष्य को हर प्रकार की सुख सुविधा एवं वैभव भी प्रदान करते हैं। शनि देव की जो भक्ति पूर्वक व्रतोपासना करते हैं वह पाप की ओर जाने से बच जाते हैं जिससे शनि की दशा आने पर उन्हें कष्ट नहीं भोगना पड़ता। शनिवार व्रत की विधि (Shanidev Vrat Vidhi) शनिवार का व्रत यूं तो आप वर्ष के किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं परंतु श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारम्भ करना अति मंगलकारी है । इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की प्रतिमा की विधि सहित पूजन करनी चाहिए। शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवन्ती का फूल, तिल, त