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क्या उर्दू नामक कोई भाषा संसार में है? (Is Urdu a Real Language)

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इस लेख को पढ़ ने से पहले कृपया ये प्रश्न स्वय से करे की क्या आपने कभी किसीको उर्दू बोलते हुए देखा है? यदी हा तो ये निश्चित है की उर्दू सुनने में हिंदी जैसी ही लगती है केवल कुछ उटपटांग शब्द उर्दू में आते है! जैसे की हिंदी उर्दू नेताजी का ‘देहांत’ हो गया नेताजी का ‘इंतकाल’ हो गया मै आपकी ‘प्रतीक्षा’ कर रहा था मै आपका ‘इंतजार’ कर रहा था ‘परीक्षा’ कैसी थी? ‘इम्तिहान’ कैसा था? आपके रहने का ‘प्रबंध’ हो चूका है आप के रहने का ‘इंतजाम’ हो चूका है ये मेरी ‘पत्नी’ है ये मेरी ‘बीबी’ है मै ‘प्रतिशोध’ की आग में जल रहा हु मै ‘इंतकाम’ की आग में जल रहा हु ये उदाहरण देख कर आप समझ गए की उर्दू की रचना का कंकाल (Skeleton) हिंदी से आया है, केवल हिंदी के स्थान पर अरबी शब्दों का उपयोग किया गया है!जब आप अधिक अध्ययन करेंगे तो ये पता चलेगा की उर्दू नामक कोई भाषा ही नही है! वो तो एक बोली है,, हिंगलिश जैसी!भाषा वो होती है जिसे व्याकरण होता है अपना एक शब्दकोष होता है! भाषा लिखने का एक माध्यम हो सकती है, किन्तु कोई बोली, भाषा का स्थान नही ले सकती क्यों की उसे ना तो व्याकरण होता है ना तो शब्द कोष...

नटराज नृत्य भारत के इतिहास की नीव (History of Classical Dances)

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In its truest sense, Indian classical dance is an expression of life, involving the body as well as the emotions. Indian Dance is based on texts from Sanskrit, an ancient Indian language – also thought to be the mother of not only Indian languages but also modern European languages. Indian classical dance is one of the oldest dance traditions associated with any of the world’s major religions. It has evolved with the concepts of self and world. According to Hindu mythology, the Taandav (the frenzied dance performed by Lord Shiva, in grief after his consort Sati’s tragic demise) symbolises the cosmic cycles of creation and destruction, birth and death. His dance is therefore the dance of the Universe, the throb of eternal life. An interesting parallel may be seen in modern physics, which depicts that the cycle of creation and destruction is not only reflected in the turn of seasons and in the birth and death of living creatures but also in the life cycle of inorganic matter. Natara...

प्राचीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक साधन (Ancient Indian Scripts and other manuscript)

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प्राचीन भारत की सभ्यता, संस्कृति तथा शासन कला का अध्ययन करने के पूर्व इतिहास की उन सामग्रियों का अध्ययन करना अत्यावश्यक है जिनके द्वारा हमें प्राचीन भारत के इतिहास का ज्ञान होता है। यों तो भारत के प्राचीन साहित्य तथा दर्शन के संबंध में जानकारी के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परन्तु भारत के प्राचीन इतिहास की जानकारी के साधन संतोषप्रद नहीं है। उनकी न्यूनता के कारण अति प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं शासन का क्रमवद्ध इतिहास नहीं मिलता है। फिर भी ऐसे साधन उपलब्ध हैं जिनके अध्ययन एवं सर्वेक्षण से हमें भारत की प्राचीनता की कहानी की जानकारी होती है। इन साधनों के अध्ययन के बिना अतीत और वर्तमान भारत के निकट के संबध की जानकारी होती है। इन साधनों के अध्ययन के बिना अतीत और वर्तमान भारत के निकट के संबंध की जानकारी करना भी असंभव है। प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी के साधनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-साहित्यिक साधन और पुरातात्विक साधन, जो देशी और विदेशी दोनों हैं। साहित्यिक साधन दो प्रकार के हैं-धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। धार्मिक साहित्य भी दो प्रकार के हैं-ब्राह्मण ग्रन्थ और अब्राह्मण ग्रन...

प्राचीन आर्य इतिहास का भौगोलिक आधार (History of India and Aryans)

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परिचय भारतीय आर्यों के प्राचीन इतिहास तथा भूगोल का अज्ञान, या तो हमारे आलस्य के कारण या हमारी बहुमूल्य ऐतिहासिक पुस्तकों के शत्रुओं द्वारा नष्ट हो जाने के कारण, अभी तक हमें पूर्ण निश्चय के साथ यह उद्घोषित करने का अवसर नहीं देता कि हमारी प्राचीन आर्य संस्कृति किस श्रेणी तक उस समय पहुंच चुकी थी, जिस समय आधुनिक नव्य-सभ्य राष्ट्रों का उदय तो कौन कहे, नाम व निशान भी नहीं था ! अवश्य ही हमारे प्राचीन इतिहास के अनुशीलन में योरपीय विद्वानों ने जो सहायता पहुंचायी है, वह बहुमूल्य है। विदेशी होकर भी आज तक उन लोगों ने जो कुछ किया, वह आशातीत और हमारी आंखें खोलने के लिये पर्याप्त है। हमारा इतिहास कुछ ख्रीष्टाब्द या विक्रमाब्द से मर्यादित नहीं; यह तो सृष्टि-सनातन और आधुनिक विद्वानों के मस्तिष्क रूपी अनुवीक्षण यन्त्र की दृष्टि से बाहर है। सच पूछा जाय, तो आर्यों का इतिहास ही विश्व का इतिहास है। आज तक यह कोई भी ठीक-ठीक नहीं कह सकता कि आर्यों का सम्पूर्ण इतिहास विश्व की विद्वन्मण्डली को कब दृष्टिगोचर होगा। योरपीय विद्वानों ने अन्धकार से निकलने की युक्ति हमें बता दी है। अब तो हमारा कर्तव्य है कि अपन...

मिस्त्र मे मनाई जाती थी भारत की जगन्नाथ यात्रा (jagannath yatra of india in egypt in history)

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क्या आप जानते हैं कि..... मिस्र के बहुचर्चित पिरामिड ही सिर्फ हमारे हिन्दू मंदिरों की नक़ल नहीं है बल्कि...... हमारे भगवान श्रीकृष्ण को मिस्र में भी पूजा जाता है ..एवं ...जगन्नाथ यात्रा की ही तरह ... मिस्र में भी जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है...! यह सुनने में थोडा अटपटा जरुर लगता है.... लेकिन, ये पूर्णतः सत्य है....! दरअसल.... भगवान् श्रीकृष्ण को मिस्र में.... ""अमन देव "" कह कर पुकारा जाता है....! मिस्र के अमन देव को हमेशा को ही नील नदी के ऊपर चित्रित किया जाता है..... एवं , उन्हें नील त्वचाधारी के रूप में बताया जाता है...! सिर्फ इतना ही नहीं..... भगवान अमन देव के सर की पगड़ी के ऊपर.... मोर के दो पंख लगे होने अनिवार्य हैं.....! और.... मिस्र में ऐसी मान्यता है कि.... इन्ही अमन देव ने...... सृष्टि की रचना की है....! अब... हिन्दू धर्म के बारे में थोड़ी सी भी जानकारी रखने वाला बच्चा भी..... यह बता देगा कि..... उपरोक्त वर्णन भगवान श्रीकृष्ण का है ...... और, हमारे ... पद्म पुराण.. विष्णु पुराण से लेकर श्रीमदभागवत गीता और महाभारत तक में ... उपरोक्त वर्णन दे...

भारतीय इतिहास के गौरवपूर्ण तथ्य (Secret Facts about india)

जब कई संस्कृतियों 5000 साल पहले ही घुमंतू वनवासी थे, भारतीय सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की। भारत के इतिहास के अनुसार, आखिरी 100000 वर्षों में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है। भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इं‍डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्‍यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा। पर्शिया के आक्रमकारियों ने इसे हिन्‍दु में बदल दिया। नाम ‘हिन्‍दुस्‍तान’ ने सिंधु और हीर का संयोजन है जो हिन्‍दुओं की भूमि दर्शाता है। शतरंज की खोज भारत में की गई थी। बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्‍ययन भारत में ही आरंभ हुआ था। ‘स्‍थान मूल्‍य प्रणाली’ और ‘दशमलव प्रणाली’ का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था। विश्‍व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्‍वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बनें हैं यह भव्‍य मंदिर राजा राज चोल के राज्‍य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था। भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्‍व का छठवां ...