संदेश

चौबीस देवताओं के चौबीस गायत्री मन्त्र

चित्र
‘गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है, केशव से श्रेष्ठ कोई देवता नहीं है। गायत्री मन्त्र के जप से श्रेष्ठ कोई जप न आज तक हुआ है और न होगा।’ सर्वफलप्रदा, देवताओं और ऋषियों की उपास्य गायत्री ’करोड़ों मन्त्रों में सर्वप्रमुख मन्त्र गायत्री है जिसकी उपासना ब्रह्मा आदि देव भी करते हैं। यह गायत्री ही वेदों का मूल है।’ गायत्री यद्यपि एक वैदिक छन्द है, परन्तु इसकी एक देवी के रूप में मान्यता है।  ‘समस्त लोकों में परमात्मस्वरूपिणी जो ब्रह्मशक्ति विराज रही है, वही सूक्ष्म-सत् प्रकृति के रूप में गायत्री के नाम से जानी जाती है।’  गायत्री के तीन रूप हैं–सरस्वती, लक्ष्मी एवं काली। ह्रीं श्रीं क्लीं चेति रूपेभ्यस्त्रिभ्यो हि लोकपालिका। भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका।। (गायत्रीसंहिता) अर्थ–ह्रीं–अर्थात् ज्ञान, बुद्धि, विवेक, प्रेम, संयम, सदाचार। श्रीं–धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा, भोग, ऐश्वर्य। क्लीं–अर्थात् स्वास्थ्य, बल, साहस, पराक्रम, पुरुषार्थ, तेज। इन तीन रूपों एवं विशेषताओं से पालन करने वाली त्रिगुणात्मक ईश्वरीय शक्ति ही गायत्री है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा वेद भी गायत्री का

वर्ण और जाति का भेद

भारतीय समाज का विभक्ति करण  वर्ण और जाति  आधारित है, इसके लिए किसी  साक्छ्य  की जरूरत नहीं क्योंकि आज की परिस्थिति में यह एक सारभोम्य सत्य है । लेकिन आइये यह जानने का प्रयास करते हैं कि भारतीय समाज में  वर्ण और जाति  में आखिर भेद क्या है ? कैसे कभी कभी ये दोनों एक दुसरे का रूप लेते और प्रतिरूप बदलते  प्रतीत होते है । वर्ण क्या है? जाति क्या है? सीधे और सरल भाषा में अगर कहा जाय तो इसे कुछ ऐसे वर्णित किया जा सकता है । वैदिक काल में  श्रम विभाजन हेतु समाज को मोटे तौर पर  चार वर्णों में विभक्त किया गया था। ये चार वर्ण हैं : ब्राह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य एवं शूद्र। मनुस्मृति के अनुशार “जन्मना जायते शूद्र:, संस्काराद् द्विज उच्यते ” अर्थात मनुष्य का जन्म  शूद्र के रूप में होता है तथा वह संस्कारों के ही बल पर द्विज यानि कि ब्राह्मण बनता है। मनुस्मृति के ही अनुशार “विप्राणं ज्ञानतो ज्येष्ठम् क्षत्रियाणं तु वीर्यतः” अर्थात् ब्राह्मण की प्रतिष्ठा ज्ञान से है तथा क्षत्रिय की बल वीर्य से होती है । यानी जिसमे ज्ञान नहीं वह ब्राह्मण नहीं, जिसमे बल वीर्य नहीं वह क्षत्रिय कहलाने योग्य नही

आचार्य सुश्रुत (Acharya Sushruta)

चित्र
शल्य चिकित्सा (सर्जरी) के पितामह और सुश्रुतसंहिता के प्रणेता आचार्य सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व काशी में हुआ था। सुश्रुत का जन्म विश्वामित्र के वंश में हुआ था। इन्होंने धन्वन्तरि से शिक्षा प्राप्त की थी। सुश्रुतसंहिता को भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग करते थे। ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे। इन उपकरणों में विशेष प्रकार के चाकू, सुइयां, चिमटियां आदि हैं। सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की। आठवीं शताब्दी में सुश्रुतसंहिता का अरबी अनुवाद किताब-इ-सुश्रुत के रूप में हुआ। सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। एक बार आधी रात के समय सुश्रुत को दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी। उन्होंने दीपक हाथ में लिया और दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। उस व्यक्ति की आंखों से अश्रु-धारा बह रही थी और नाक कटी हुई थी। उसकी नाक से तीव्र रक्त-स्राव हो रहा था। व्यक्ति ने आचार्य

Hanuman signs found Worldwide

चित्र
La Ciudad Blanca [Spanish for ‘The White City‘) is a legendary settlement said to be located in the Mosquitia region of eastern Honduras (in Central America).Charles Lindberg, during one of his flights over the jungles of Mosquitia in Hondurus, claimed caught a glimpse of what he thought was the ‘Lost City of the Monkey God‘ where, legend says that local people worshipped huge ‘Monkey Sculptures‘. Theodore Morde – an American adventurer, worked on the tip given by Lindberg and claimed that he had finally found the lost city in 1940.He claimed sacrifices were made by local Indians to a gigantic idol of an ape. However, he was killed by a car in London before he could announce its exact location. Ramayana’s Kishkinda Kanda descibes about Trident of Peru, South America etc and Yuddha Kanda(War Episode) describes about Hanuman travelling to Paatala Loka (Central America and Brazil, which are on other side of India in globe) and meeting his son Makaradhwaja, who resembles him.After killi

Ancient Indian Robotics

चित्र
An ancient book called Yoga Vasistha describes War Machines or Robots prepared by Sambarasura(well known to have mystic powers and could raise himself in the sky and fight from outer space) They were three in number and were named as Dama, Vyala and Kata. Kata was like a modern tank protecting army. The word ‘Kat’ means to go, to cover. It could go and cover the army so the name. The name ‘Dama’ is derived from the root Dam which means to tame, subdue, conquer, restrain of course the enemy. ‘Vyala’ means vicious, fierce, cruel, savage like tiger or snake. Those three Robots were lifeless machines and therefore had no sentiments, no emotions, so they were never defeated. They always won the wars against Adityas (gods). So Adityas played a trick to induce sentiments and emotions in them. They fought with the three Robots and ran away, many times,with defeat. This induced Ego in the Robots.Ego arises as the robots were thinking due to artificial intelligence.At the same time Adit

Bermuda Triangle Mystery revealed in Rig Veda

चित्र
Although there is a similar demon described in first ever poem, Ramayana, it does not match with the geographical location. Simhika, the gigantic demon had the power to attract anything’s shadow flying over ocean and pull it into the waters.However, that was on the way to Lanka. Brahmanda Purana (composed more than 5000 years ago) and Rig Veda (written more than 23000 years ago) clearly state that the planet Mars was born our of Earth.That is why he is called as Bhauma (‘son of Bhumi’) or Kuja (Ku = Earth + Ja = Born out of ) in Sanskrit. Asya Vamasya Sukta in Rig Veda states :”When Earth gave birth to Mars, and Mars separated from his mother, her thigh got injured and she became imbalanced (Earth rotated in its axis) and to stop it Godly doctors, Aswini Kumars poured iron into the triangular shaped injury and Earth got fixed in her current position.That is why Earth’s axis is bent at a particular angle. ” That triangular shaped injury on our planet which was filled with iron went o