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जून, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Use of Rolls Royce in India

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इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव् य शो रूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए। शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के अलावा अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के महाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं। कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में और अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक शोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया। भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि ह...

GOTRA SYSTEM , Y CHROMOSOME , DNA , GENETIC BIRTH DEFECTS

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Nearly three and a half decades ago, I was in Mumbai doing my Mate’s exams. While walking down to a nearby restaurant with my friend for lunch , we came across a purse full of money lying on the street.  Since it was a Sunday, the street was fairly deserted.  Pretty soon a guy came from the opposite direction , and it appeared that he was indeed searching frantically for his purse, his eyes darting here and there on the ground. So we asked him “ Have you lost something?” He said ” Yes, my purse is missing from my back pocket” Immediately a Bawajee ( an old Parsee gentleman ) within  earshot started imploring at the top of his voice “  Maine nahi liya! Maine nahi liya!—Mai— “  in a shrill squeaky voice. I took out the purse and gave it to the rightful owner and then all the three of us tried to convince the Bawajee , that the purse is indeed found,  and that nobody has accused him of stealing it. To be frank, we spent the n...

प्राचीन भारत में वर्ण-मापन-विज्ञान (स्पेक्ट्रोस्कोपी)

इस सिंहावलोकनात्मक प्राक्कथन आलेख में हम प्राचीन वर्ण-क्रम-मापन विज्ञान के नीचे दिये गये बिन्दुओं पर आज के परिप्रेक्ष्य में उनकी महत्ता एवं उपादेयता का विवेचन करेंगे : (क) उस काल में 'वर्णक्रम मापक' जैसे जटिल (Sophisticated) यंत्र रहे हैं। (ख) उनका उपयोग सूर्य के प्रकाश में अवस्थित वर्णों के विक्षेपण (dispersion) मापन में तथा 'ज्योतिष-भौतिकी' (Astrophysics) में जिस प्रकार आज नक्षत्रों (stars) का वार्णिक वर्गीकरण (spectral classification) करते हैं, उसी रूप में करते रहे हैं। (ग)यंत्र में प्रयुक्त होने वाले मणियों एवं गवाक्षों (lenses: prisms and windows) के निमित्त उपयुक्त लौहों (materials) को बनाने की विधियों एवं गुणों को भी जानते रहे हैं। 'प्राच्य संस्थान, बड़ोदरा' (Oriental Institute, Varodara), बड़ोदा के पुस्तकालय में बोधानन्द की व्याख्या से युक्त महर्षि भरद्वाज द्वारा प्रणीत 'अंशुबोधिनी' 1 की प्राप्त पांडुलिपि (manuscript) के 'विषय वस्तु' (Text) में 'घ्वान्त-प्रमापकऱ्यंत्र के नाम से संबोधित 'वर्णक्रम मापक' (Spectrometer / mon...