भोजन करने सम्बन्धी 24 जरुरी नियम (24 rules for eating)


१ पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर
ही भोजन करे !
२. गीले पैरों खाने से आयुमें वृद्धि होती है !
३. प्रातः और सायं ही भोजनका विधान है !किउंकि पाचन
क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 ० घंटे बादतक एवं सूर्यास्त से 2 :
3 0 घंटे पहले तक प्रवल रहती है
४. पूर्व और उत्तर दिशा कीओर मुह करके ही खाना चाहिए !
५. दक्षिण दिशा की ओर कियाहुआ भोजन प्रेत को प्राप्त
होता है !
६ . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग
की वृद्धि होती है !
७. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो मेंभोजन
नहीं करना चाहिए !
८. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में,अधिक शोर में,पीपल,वट
वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए !
९ परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए !
१०. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के ,
उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इस्वर से
ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए !
११. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए
ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर
( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर
ही घर वालो को खिलाये !
१२. इर्षा , भय , क्रोध, लोभ,रोग , दीन भाव,द्वेष भाव,के साथ
किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है !
१३. आधा खाया हुआ फल ,
मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए !
१४. खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करनाचाहिए !
१५. भोजन के समय मौन रहे !
१६. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए !
१७. रात्री में भरपेट न खाए !
१८. गृहस्थ को ३२ ग्रास सेज्यादा न खाना चाहिए !
१९. सबसे पहले मीठा , फिर नमकीन , अंत में कडुवा खाना चाहिए !
२०. सबसे पहले रस दार , बीचमें गरिस्थ , अंत में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे!
२१. थोडा खाने वाले को --आरोग्य , आयु , बल , सुख, सुन्दर संतान ,
और सौंदर्य प्राप्त होता है !
२२. जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए !
२३. कुत्ते का छुवा , रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राध
का निकाला , बासी , मुह से फूक मरकर ठंडा किया , बाल
गिरा हुवा भोजन , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन
कभी न करे !
२४. कंजूस का, राजा का,वेश्या के हाथ का,शराब बेचने वाले
का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए
यह नियम आप जरुर अपनाये और फर्क देखें 

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